Bhakti Kavya: श्रीभट्ट की बेहतरीन भक्ति रचना, 'राधा माधव अद्भुत जोरी'
राधा माधव अद्भुत जोरी ।
राधा माधव अद्भुत जोरी ।
सदा सनातन इक रस विहरत अविचल नवल किशोर किशोरी।
नख सिख सब सुषमा रतनागर,भरत रसिक वर हृदय सरोरी।
जै श्रीभट्ट कटक कर कुंडल गंडवलय मिली लसत किशोरी।।
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जुगलकिशोर हमारे ठाकुर।
सदा-सर्वदा हम जिनके हैं, जनम-जनम घर-जाय चाकर॥
चूक परैं परिहरैं न कबहूँ, सबहीं भाँति दया के आकर।
जै ‘श्रीभट्ट’ प्रगट त्रिभुवन में प्रनतनि पोषत परम-सुधाकर॥
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ब्रजभूमि मोहिनी मैं जानी।
मोहन कुंज, मोहन बृंदावन, मोहन जमुना-पानी॥
मोहन नारि सकल गोकुल की, बोलति अमरित बानी।
‘श्रीभट्ट’ के प्रभु मोहन नागर, मोहनि राधारानी॥
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मदनगुपाल, सरन तेरी आयो।
चरनकमल को सरन दीजिये, चेरौ करि राखौं घर-जायो॥
धनि-धनि माता-पिता सुत बंधु धनि, जननी जिन गोद खिलायो।
धनि-धनि चलन चलत तीरथ की, धनि गुरुजन हरिनाम सुनायो॥
जे नर बिमुख भये गोविंद सों, जनम अनेक महादुख पायो।
‘श्रीभट्ट’ के प्रभु दियौ अभय पद जम डरप्यौ जब दास कहायो॥
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