Chhath Puja 2024: छठ के महापर्व की हुई शुरुआत, नहाय-खाय से पारण तक जान लें हर दिन की डिटेल
मेरा सनातन डेस्क। छठ पर्व न सिर्फ लोगों की आस्था के साथ गहराई से जुड़ा है, बल्कि यह कई मायनों में सीख भी देता है. जैसे हमें प्रकृति के प्रति आभारी होना चाहिए. बिना किसी भेदभाव के मिल जुलकर रहना चाहिए. आज से पावन छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है तो चलिए जान लेते हैं इसका शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां.
छठ पर्व के दौरान लोगों में जबरदस्त आस्था देखने को मिलती है. भोर होते ही नदी-तालाबों के किनारे लोग सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जुटते हैं और इस दौरान कमाल की रौनक होती है. छठ सिर्फ आस्था, धर्म या फिर रीति-रिवाज पूरे करना का त्योहार नहीं है, बल्कि यह तो प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी पर्व है और यही तो हमारी सनातन संस्कृति की खासियत है. हर त्योहार के पीछे कोई न कोई महत्वपूर्ण सीख या तथ्य छिपा होता है. वैसे तो छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, लेकिन दिवाली के बाद कार्तिक मास में पड़ने वाले छठ को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. तीन दिन तक चलने वाले छठ के व्रत के नियम भी काफी कठिन होते हैं. इसमें नहाय खाय से पर्व की शुरुआत होती है और फिर खरना के बाद निर्जला व्रत शुरू होता है जो लगभग 36 घंटे के बाद पारण किया जाता है. इस दौरान सूर्योदय और अस्ताचलगामी सूर्य को पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है. छठ की खासियत है कि इसमें कोई भेदभाव नहीं है. इसे हर धर्म, जाति का व्यक्ति कर सकती है और महिलाएं और पुरुष दोनों ही छठ व्रत को कर सकते हैं.
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पर्व की शुरुआत हो जाती है. वहीं पंचमी तिथि को खरना के साथ व्रत शुरू किया जाता है और षष्ठी को मुख्य छठ पूजा होती है. इसके बाद सप्तमी यानी चौथे दिन सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण किया जाता है. इस बार 5 नवंबर यानी आज से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है.
नहाय-खाय के नियम और तिथि का जानकारी
5 नवंबर 2024 कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी आज छठ का पहला दिन है.
सूर्योदय का समय: 6 बजकर 39 मिनट
सूर्यास्त का समय: 5 बजकर 41 मिनट
पहली बार यह व्रत करने जा रहे हैं तो जान लें कि छठ पर्व के नियम भी आज से ही शुरू हो जाते हैं. पहले दिन सुबह उठकर घर की सारी साफ-सफाई की जाती है, क्योंकि पर्व के दौरान हर चीज की शुद्धता का ध्यान रखना बेहद आवश्यक होता है. इसके बाद स्नान करके पूजा की जाती है और सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी तरह से लहसुन प्याज का इस्तेमाल घर में न हो. पहले सूर्य देव को नैवेद्य अर्पित करें और फिर भोजन करें.
छठ का दूसरा दिन 'खरना' के नियम
छठ पूजा में दूसरे दिन खरना किया जाता है. 6 नवंबर को इस बार खरना किया जाएगा और इसी दिन से छठ के निर्जला व्रत का आरंभ हो जाएगा. इस दिन सुबह मिट्टी के चूल्हे पर चावल और गुड़ की खीर तैयार की जाती है और इससे छठी मैया को भोग लगता है. इसके बाद इस खीर को व्रती लोग साथ में परिवार के सदस्य प्रसाद की तरह ग्रहण करते हैं. इसके बाद निर्जला व्रत शुरू हो जाता है जो लगभग 36 घंटे तक चलता है.
छठ पूजा का मुख्य दिन षष्ठी तिथि
इस बार षष्ठी तिथि यानी छठ पूजा 7 नवंबर 2024 दिन बृहस्पतिवार की जाएगी.
षष्ठी तिथि आरंभ: 07 नवंबर, 2024 12:41 ए एम
षष्ठी तिथि समाप्त: 08 नवंबर, 2024 12: 34 ए एम
सूर्योदय पूजा- 06 बजकर 38 मिनट
सूर्यास्त पूजा- 05 बजकर 32 मिनट
इस दिन सूर्य को दोनों समय अर्घ्य दिया जाता है. मान्यता है कि इससे समृद्धि, सम्मान और प्रगति में बढ़ोतरी होती है. इसी के साथ ही छठी मैया को कई चीजों का भोग लगाया जाता है और संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.
छठ व्रत का पारण
8 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को सुबह सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद छठ के निर्जला व्रत का पारण किया जाता है और इसी के साथ छठ पर्व का समापन हो जाता है.
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