संत तुकाराम की भक्ति रचना, 'भलो नंद जी को डिकरो', एक बार जरूर पढ़ें
भलो नंद जी को डिकरो
भलो नंद जी को डिकरो।
लाज राखी लीन हमारो॥
आगल आयो देव जी कान्हा।
मैं घर छोड़ी आयें न्हाना॥
उन सुं कलना न ब्हेतो भला।
खसम अहंकार दादुला॥
तुका प्रभु परबल हरी।
छपी आयें हूँ जगाथी न्यारी॥
हरि बिन रहिया न जाए जिहिरा
हरि बिन रहिया न जाए जिहिरा।
कब की थाड़ी देखें राहा॥
क्या मेरे लाल कवन चुकी भई।
क्या मोहिपासिती बेर लगाई॥
कोई सखी हरि जावे बुलवान।
बारहि डारूँ उस पर ये तन॥
तुका प्रभु कब देख पाऊँ।
पासी आऊँ फेर न जाऊँ॥
note- ये रचनाएं संत तुकाराम किताब से ली गईं हैं। अगर किसी को आपत्ति या कोई चेतावनी देनी हो तो कृपया हमें पहले मेल करें।
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