Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने भक्त सेवा को बताया सबसे बड़ी उपाधि, PHD की डिग्री को ठुकराया
मेरा सनातन डेस्क, वृंदावन। प्रेमानंद महाराज एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) की पीएचडी डिग्री का प्रस्ताव सम्मानपूर्वक लौटा दिया है। उन्होंने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से कहा कि भक्त सेवा ही सबसे बड़ी उपाधि है। उसके सामने सभी डिग्री छोटी है।
बता दें कि छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह 28 सितंबर को होने वाला है। समारोह से पहले सीएसजेएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. अनिल यादव संत प्रेमानंद को मानद उपाधि देने का प्रस्ताव लेकर वृन्दावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज आश्रम पहुंचे थे।
उपाधियों को मिटाने के लिए संन्यास लिया है- प्रेमानंद महाराज
अनिल यादव ने प्रेमानंद महाराज से कहा कि वह अपने दीक्षांत समारोह में उनको मानद उपाधि से सम्मानित करना चाहते हैं। तो इसके जबाव में प्रेमानंद महाराज जी ने डिग्री स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने केवल उपाधियों को मिटाने के लिए संन्यास लिया है। उन्होंने कहा कि भक्त की उपाधि के सामने सभी उपाधियां छोटी हैं।
बाहरी उपाधि से हमारा उपहास होगा
संत प्रेमानंद और यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार के बीच बातचीत का एक वीडियो वायरल हो गया है। संत प्रेमानंद ने कहा कि हमने बड़ी उपाधि के लिए छोटी उपाधियों का त्याग किया है। सबसे बड़ी उपाधि सेवक की है। बाहरी उपाधि से हमारा उपहास होगा, सम्मान नहीं। यह सांसारिक उपाधि हमारी अलौकिक उपाधि में बाधक है। आपकी भावनाएँ एक उच्च कोटि का, लेकिन इसमें कहीं न कहीं आधुनिकता छिपी हुई है, हमारी भक्ति ही हमारी सबसे बड़ी उपाधि है।
वहीं, यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार अनिल यादव ने संत प्रेमानंद से पूछा कि अगर कोई व्यक्ति गलत करता है तो क्या उसे सजा मिलनी चाहिए? संत प्रेमानंद ने कहा कि धर्म के विरुद्ध आचरण करने वालों के लिए एक बार की माफी ठीक है, लेकिन उन्हें बार-बार मौका नहीं देना चाहिए।
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