Bhakti Kavya: 'मेरे सिर पर भी रख दो अपना हाथ कान्हा', पढ़ें युवा कवि सूरज की कविता
युवा कवि सूरज की कविता- मैं जानता हूँ तुम हो मेरे साथ कान्हा
इस बार तो सुन लो मेरी बात कान्हा
मैं जानता हूँ तुम हो मेरे साथ कान्हा
मेरी भक्ति भावना को समझोना तुम
मेरे सिर पर भी रख दो अपना हाथ कान्हा
ये बस तेरी बंसी का ही कमाल है कान्हा
तू हर बार लगता बेमिसाल है कान्हा
सिया हो गई राम की
राधा बनी जो श्याम की
एक मीरा भी हुई भक्ति में पागल
जपती गई माला कान्हा तेरे नाम की
बालों में हैं मोरपंख कान्हा उसका नाम है
कोई कहता बंसी वाला कोई कहता श्याम है
कोई भक्ति में पागल हो जाये
तो कोई जपता उसका नाम है
कोई कहता बसी वाला कोई कहता श्याम है
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