Category
bhaktikavya
भक्ति काव्य 

Bhakti Kavya: 'रामलला के पूजन को अयोध्या अब तैयार हुई', पढ़ें अनुराग वत्स का लिखा भजन

Bhakti Kavya: 'रामलला के पूजन को अयोध्या अब तैयार हुई', पढ़ें अनुराग वत्स का लिखा भजन रामलला के पूजन को अयोध्या अब तैयार हुई रामलला के पूजन को अयोध्या अब तैयार हुईगली और गलियारों में राम की जय जय कार हुई प्रपंच कर रहे सरपंचों ने खेल बहुत ही खेला था रमित रघुनंदन रामचंद्र ने...
Read More...
भक्ति काव्य 

Bhakti Kavya: कवि उत्कर्ष की रचना, 'कौन कहता है प्यार एक बार होता है', देखें वीडियो

Bhakti Kavya: कवि उत्कर्ष की रचना, 'कौन कहता है प्यार एक बार होता है', देखें वीडियो कौन कहता है प्यार एक बार होता है कौन कहता है प्यार एक बार होता है...मैं तो खाटू जाउं जब भी जाऊं मुझे तो हर बार होता है।। हर ग्यारस पर बाबा के दर्शन करके मुझे बाबा से प्यार...
Read More...
भक्ति काव्य 

Bhakti Kavya: 'मेरे सिर पर भी रख दो अपना हाथ कान्हा', पढ़ें युवा कवि सूरज की कविता

Bhakti Kavya: 'मेरे सिर पर भी रख दो अपना हाथ कान्हा', पढ़ें युवा कवि सूरज की कविता युवा कवि सूरज की कविता- मैं जानता हूँ तुम हो मेरे साथ कान्हा इस बार तो सुन लो मेरी बात कान्हामैं जानता हूँ तुम हो मेरे साथ कान्हा मेरी भक्ति भावना को समझोना तुममेरे सिर पर भी रख...
Read More...
भक्ति काव्य 

'हिंदुत्व के सेवक हम हैं, धर्म सभी से प्यारा है', युवा कवि डाल्टन की रचना

'हिंदुत्व के सेवक हम हैं, धर्म सभी से प्यारा है', युवा कवि डाल्टन की रचना हिंदुत्व के सेवक हम हैं, धर्म सभी से प्यारा हैहिन्दू धर्म के हम हैं बालक, हिंदुस्तान हमारा है।। देशभक्ति और सनातन ह्रदय जान से मुझको प्यारे एक तिरंगा एक केसरिया दो हैं ध्वज और हम रखवारे।। एक जुट हो...
Read More...
भक्ति काव्य 

युवा कवि चिराग जैन की रचना, 'सुख हो चाहे दुख हो, यही नाम लेते है'

युवा कवि चिराग जैन की रचना,  'सुख हो चाहे दुख हो, यही नाम लेते है' सुख हो चाहे दुख हो, यही नाम लेते है सच्चे हिन्दू इनको अपनी जान कहते हैं भारत में रहने वाला तुमसे यही कहेगा मन में भोले बाबा और दिल में श्री राम रहते हैं note- ये पंक्ति इन्होंने अयोध्या के...
Read More...
भक्ति काव्य 

कुंभनदास की रचना: देखिहौं इन नैननि, सुंदर स्याम मनोहर मूरति....

कुंभनदास की रचना: देखिहौं इन नैननि, सुंदर स्याम मनोहर मूरति.... कुंभनदास की रचना............. देखिहौं, इन नैननि। सुंदर स्याम मनोहर मूरति, अंग-अंग सुख-दैननि॥  बृन्दावन-बिहार दिन-दिनप्रति गोप-बृन्द सँग लैननि। हँसि- हँसि हरष पतौवनि' पावन बाँटि-बाँट पय-फैननि॥  ‘कुंभनदास', किते दिन बीते, किये रेनु सुख-सैननि। अब गिरधर बिनु निसि अरु बासर, मन न रहतु...
Read More...

Advertisement