क्यों जगन्नाथपुरी का ध्वज हवा की उल्टी दिशा में लहराता है? हनुमान जी से जुड़ी है वजह
मेरा सेनातन डेस्क। जगन्नाथ पुरी का झंडा, जिसे निशान ध्वज के रूप में भी जाना जाता है, एक रहस्यमय घटना है जो सदियों से देखी जाती रही है। भारत के ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर लगा झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता हुआ प्रतीत होता है।
इस घटना को समझाने के लिए कई किंवदंतियां प्रचारित हैं, जैसे
1. हवा का पैटर्न: कुछ वैज्ञानिकों का सुझाव है कि समुद्री हवा और भूमि हवा सहित क्षेत्र में एक साथ बहना एक जगन्नाथ मंदिर के झंडे का विपरीत दिशा में बहना हो सकता है।
2. वास्तुकला: मंदिर की वास्तुकला, जिसमें ध्वजस्तंभ की ऊंचाई और आकार भी शामिल है, इस घटना में वह भी एक कारण हो सकता है।
3. हवा का दबाव: कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि मंदिर के चारों ओर हवा के दबाव में अंतर के कारण झंडा विपरीत दिशा में लहरा सकता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान हनुमान से जुड़ा है रहस्य
जगन्नाथ पुरी का रहस्य पुरानी कथाओं की मानें तो जगन्नाथ मंदिर की ध्वजा उल्टी लहराने का सीधा संबंध हनुमान जी से है। बताया जाता है कि भगवान विष्णु को समुद्र की लहरों के तेज आवाज की वजह से सोने में दिक्कत हो रही थी। इस बात की जानकारी जब हनुमान जी को लगी तो उन्होंने समुद्र देवता से हवा दिशा उल्टी करने का निवेदन किया। लेकिन समुद्र देवता ने असमर्थता जताते हुए कहा कि ये मेरे बस में नहीं है, इसके लिए आपको अपने पिता पवन देव से निवेदन करना होगा। यह ध्वनि उतनी ही दूर तक जाएगी जितनी हवा की गति जाएगी।
समुद्र देव से निवेदन के लिए हनुमान जी पवन देव के पास पहुंचे और आह्वान किया कि हवा मंदिर की दिशा में न बहे। पवनदेव ने कहा कि यह संभव नहीं है और इसके लिए उन्होंने हनुमान जी को एक उपाय बताया। अपने पिता के बताए उपाय के अनुसार हनुमान जी ने अपनी शक्ति से स्वयं को दो भागों में बांट लिया और फिर वे हवा से भी तेज गति से मंदिर की परिक्रमा करने लगे।
इससे हवा का ऐसा चक्र बना कि समुद्र की आवाज मंदिर के अंदर न जाकर मंदिर के चारों ओर घूमती रहती है और श्री जगन्नाथ जी मंदिर में आराम से सो जाते हैं। इसी वजह से मंदिर की ध्वजा भी हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
घटना के पीछे का सटीक कारण अज्ञात
हालांकि कई जांचों के बावजूद, इस घटना के पीछे का सटीक कारण अज्ञात है, और मंदिर में आने वाले कई भक्तों और आगंतुकों द्वारा इसे एक रहस्यमय और आध्यात्मिक घटना माना जाता है। ध्वज को भगवान जगन्नाथ का एक पवित्र प्रतीक माना जाता है, और इसके रहस्यमय व्यवहार को दिव्यता की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है।
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