भगवद्गीता डोज 4: अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि। युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ।।
भावार्थ
इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं- यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद ।
तात्पर्य
यद्यपि युद्धकला में द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टद्युम्न महत्त्वपूर्ण वाधक नहीं था किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे भय था। दुर्योधन इन्हें विजय-पथ में अत्यन्त वाधक वताता है क्योंकि इनमें से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था। उसे भीम तथा अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है।
अत्र-यहाँः शूराः- वीर; महा-इषु-आसाः- महान धनुर्धर; भीम-अर्जुन-भीम तथा अर्जुनः समाः-के समान; युधि-युद्ध में; युयुधानः- युयुधान; विराटः-विराट; च-भी; द्रुपदः- द्रुपदः च-भीः महारथः- महान योद्धा।
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