Vrindavan: किसने की थी वृंदावन की खोज, जानिए उस महान संत के बारे में?
मेरा सेनातन डेस्क। किसी के मन में भक्ति की बात आए और उसके मन वृंदावन न आए, ऐसा हो नहीं सकता। वृंदावन वह गांव है जहां भगवान श्री कृष्ण के चरण पड़े और वृंदावन वह स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल पन में बाल लीलाएं की थी। वृंदावन को भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली के साथ साथ वृंदावन में कान्हा अपनी गायों को चराया करते थे।
जिन गलियों में भगवान श्रीकृष्ण खेला करते थे आज उन छोटी छोटी गलियों को वृंदावन की कुंज गलियों के नाम से जाना जाता है। वृंदावन हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और इसमें कृष्ण और उनकी मुख्य पत्नी राधा को समर्पित लगभग 5,500 मंदिर हैं। वृंदावन वह जगह है जहां न जाने कितने ही संतों में तपस्या की।
चैतन्य महाप्रभु महाप्रभु ने की थी वृंदावन की खोज
मान्यताओं के अनुसार, चैतन्य महाप्रभु ने ही सन् 1515 में वृंदावन की खोज की थी। इसके साथ ही उन्होंने अपने अन्य शिष्यों को भी वृंदावन में जाकर भक्ति का विस्तार करने और अन्य स्थानों की खोज करने के लिए भेजा था। इन्हें ब्रज के मुख्य गोस्वामियों में भी गिना जाता है।
ऐसे पड़ा वृंदावन नाम
वृंदा तुलसी को कहा जाता है। यहां तुलसी के पौधे अधिक हैं, इसलिए इसे वृंदावन नाम दिया गया। यानी वृंदा (तुलसी) का वन। ब्रह्म पुराण में बताया गया है कि वृंदा राजा केदार की पुत्री थीं। उन्होंने इस वनस्थली में कठोर तप किया था। इसलिए इस वन का नाम वृंदावन पड़ा। वृंदा अर्थात राधा रानी अपने पति श्रीकृष्ण से मिलने की तमन्ना लिए इस वन में निवास करती हैं। यहां का कण-कण राधा-कृष्ण की लीला का साक्षात गवाह है।
गोकुल से वृंदावन आए गए थे श्रीकृष्ण
श्रीमद्भागवत और पुराणों में वृंदावन का वर्णन किया गया है। भगवान श्री कृष्ण का गोकुल से वृंदावन आने का कारण था जब कंस के अत्याचार गोकुल में बढ़ने लगे। तव नंद अपने गोकुल को बचाने के लिए नंद जी अपने परिवार के साथ वृंदावन थे। उससे पहले यहाँ सिर्फ वन था। भगवान श्री कृष्ण और नंद के यहाँ आने से यह वन वृंदावन बना। लेकिन कुछ समय बाद नंद जी वृंदावन को भी छोड़ कर नंदगाव में आ जाते है।
वृंदावन के प्रमुख मंदिर
श्री बांके विहारी जी का मंदिरवृंदावन का प्राचीन मंदिरों में से एक है। श्री बांके विहारी जी मंदिर के अलावा वृंदावन में कुछ और प्राचीन मंदिर है जैसे - श्री राधारमण, श्री राधा दामोदर दास मंदिर, राधा श्याम सुंदर, गोपीनाथ, गोकुलेश, साक्षी गोपाल मंदिर, श्री कृष्ण बलराम मंदिर (इस्कॉन मंदिर), रशिका पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र और मीरा बाई मंदिर मंदिर।
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