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भक्ति काव्य 

कुंभनदास की रचना: देखिहौं इन नैननि, सुंदर स्याम मनोहर मूरति....

कुंभनदास की रचना: देखिहौं इन नैननि, सुंदर स्याम मनोहर मूरति.... कुंभनदास की रचना............. देखिहौं, इन नैननि। सुंदर स्याम मनोहर मूरति, अंग-अंग सुख-दैननि॥  बृन्दावन-बिहार दिन-दिनप्रति गोप-बृन्द सँग लैननि। हँसि- हँसि हरष पतौवनि' पावन बाँटि-बाँट पय-फैननि॥  ‘कुंभनदास', किते दिन बीते, किये रेनु सुख-सैननि। अब गिरधर बिनु निसि अरु बासर, मन न रहतु...
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